पब्लिक की क्रिप्टोसिस्टम्स के सिद्धांत - Principles of Public Key Cryptosystems in Hindi


पब्लिक की क्रिप्टोसिस्टम्स के सिद्धांत - Principles of Public Key Cryptosystems in Hindi

परिचय

पब्लिक की क्रिप्टोग्राफी (Public Key Cryptography) एक आधुनिक एन्क्रिप्शन तकनीक है जो **असिमेट्रिक की क्रिप्टोसिस्टम (Asymmetric Key Cryptosystem)** पर आधारित होती है। इसमें दो अलग-अलग कुंजियाँ उपयोग की जाती हैं:

  • पब्लिक की (Public Key): जिसे सभी के साथ साझा किया जा सकता है।
  • प्राइवेट की (Private Key): जिसे केवल अधिकृत उपयोगकर्ता ही रखता है।

इस क्रिप्टोसिस्टम का उपयोग **सुरक्षित संचार, डिजिटल हस्ताक्षर, प्रमाणन (Authentication), और डेटा एन्क्रिप्शन** के लिए किया जाता है।

पब्लिक की क्रिप्टोसिस्टम्स के प्रमुख सिद्धांत (Principles of Public Key Cryptosystems)

पब्लिक की क्रिप्टोसिस्टम निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित होता है:

1. असिमेट्रिक की जोड़ी (Asymmetric Key Pair)

Public Key Cryptography में प्रत्येक उपयोगकर्ता के पास **एक सार्वजनिक (Public) और एक निजी (Private) कुंजी** होती है।

  • **पब्लिक की:** इसे किसी को भी साझा किया जा सकता है और यह डेटा को एन्क्रिप्ट करने के लिए उपयोग की जाती है।
  • **प्राइवेट की:** यह गोपनीय रहती है और इसे डिक्रिप्शन के लिए उपयोग किया जाता है।

2. गणितीय कठिनाई (Computational Complexity)

पब्लिक की क्रिप्टोग्राफी एक कठिन गणितीय समस्या (जैसे **फैक्टराइज़ेशन, लॉगरिथमिक गणना**) पर निर्भर करती है, जिसे हल करना असंभव तो नहीं लेकिन बहुत कठिन होता है।

  • RSA (Rivest-Shamir-Adleman): यह **Prime Factorization Problem** पर आधारित है।
  • Diffie-Hellman: यह **Discrete Logarithm Problem** पर आधारित है।
  • Elliptic Curve Cryptography (ECC): यह **Elliptic Curve Discrete Logarithm Problem** पर आधारित है।

3. कुंजी वितरण की सुरक्षा (Secure Key Distribution)

चूँकि पब्लिक की को साझा किया जाता है, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसे सही स्रोत से प्राप्त किया गया है।

  • इसके लिए **डिजिटल सर्टिफिकेट** का उपयोग किया जाता है।
  • **Public Key Infrastructure (PKI)** इसका प्रबंधन करता है।

4. एकतरफा गणना (One-Way Function)

Public Key Cryptosystem में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि यह **One-Way Function** पर आधारित होता है:

  • **पब्लिक की से डेटा को एन्क्रिप्ट करना आसान होता है।**
  • **लेकिन प्राइवेट की के बिना डेटा को डिक्रिप्ट करना लगभग असंभव होता है।**

5. डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature)

Public Key Cryptography का उपयोग **डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature)** के लिए भी किया जाता है, जिससे डेटा की **सत्यता (Authenticity) और अखंडता (Integrity)** सुनिश्चित की जाती है।

  • प्रेषक अपने **प्राइवेट की** से हस्ताक्षर करता है।
  • प्राप्तकर्ता **पब्लिक की** से हस्ताक्षर को सत्यापित करता है।

6. मैन-इन-द-मिडल अटैक से सुरक्षा (Protection from Man-in-the-Middle Attack)

Public Key Cryptosystem **मध्यस्थ हमले (MITM - Man-in-the-Middle Attack)** से बचाने के लिए निम्नलिखित सुरक्षा उपाय अपनाता है:

  • **सर्टिफिकेट अथॉरिटी (CA):** पब्लिक की को प्रमाणित करता है।
  • **डिजिटल सिग्नेचर:** डेटा की प्रामाणिकता को सुनिश्चित करता है।

7. व्यापक उपयोगिता (Wide Applicability)

Public Key Cryptosystem को कई प्रकार के अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है:

  • **HTTPS / SSL/TLS प्रोटोकॉल:** वेब ब्राउजिंग में सुरक्षित कनेक्शन।
  • **VPN (Virtual Private Network):** दूरस्थ नेटवर्क एक्सेस के लिए।
  • **E-Commerce Transactions:** ऑनलाइन भुगतान सुरक्षा।
  • **Blockchain और Cryptocurrencies:** बिटकॉइन और अन्य डिजिटल मुद्राओं की सुरक्षा।

पब्लिक की क्रिप्टोसिस्टम्स के लाभ

  • **सुरक्षित कुंजी वितरण:** Key Exchange के लिए अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती।
  • **डिजिटल हस्ताक्षर:** डेटा की सत्यता और अखंडता को सुनिश्चित करता है।
  • **गोपनीयता:** केवल अधिकृत उपयोगकर्ता ही संदेश को डिक्रिप्ट कर सकते हैं।

पब्लिक की क्रिप्टोसिस्टम्स की सीमाएँ

  • **गणना में अधिक समय:** सिमेट्रिक एन्क्रिप्शन की तुलना में धीमा होता है।
  • **जटिल गणितीय समस्याएँ:** कुंजियों की लंबाई बढ़ने से संसाधनों की खपत अधिक होती है।

पब्लिक की बनाम सिमेट्रिक की क्रिप्टोग्राफी

विशेषतासिमेट्रिक की क्रिप्टोग्राफीपब्लिक की क्रिप्टोग्राफी
कुंजी का उपयोगएक ही कुंजीअलग-अलग कुंजियाँ
गतितेज़धीमा
कुंजी वितरणकुंजी साझा करने की समस्यासुरक्षित कुंजी वितरण
सुरक्षाकमअधिक

निष्कर्ष

Public Key Cryptosystem आधुनिक **साइबर सुरक्षा का आधार** है। यह असिमेट्रिक की जोड़ी का उपयोग करके डेटा की **सुरक्षा, अखंडता, और सत्यता** को सुनिश्चित करता है। हालांकि, इसकी गणना जटिल होती है, लेकिन यह डिजिटल लेन-देन, वेब सुरक्षा और एन्क्रिप्शन में अत्यधिक प्रभावी होता है।

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