मेमोरी मैनेजमेंट में पार्टीशनिंग - Partitioning in Memory Management in Hindi


मेमोरी पार्टीशनिंग क्या है? (What is Partitioning in Memory Management?)

Partitioning एक मेमोरी प्रबंधन तकनीक है जिसमें मुख्य मेमोरी (RAM) को छोटे-छोटे भागों (Partitions) में विभाजित किया जाता है, जिससे विभिन्न प्रक्रियाओं (Processes) को स्वतंत्र रूप से निष्पादित करने के लिए मेमोरी आवंटित की जा सके।

मेमोरी पार्टीशनिंग के प्रकार (Types of Partitioning in Memory Management)

Partitioning को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जाता है:

पार्टीशनिंग प्रकार विवरण
1. Static Partitioning (स्थिर पार्टीशनिंग) इसमें मेमोरी को फिक्स्ड आकार के पार्टीशनों में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक प्रोसेस को एक पार्टीशन असाइन किया जाता है।
2. Dynamic Partitioning (गतिशील पार्टीशनिंग) इसमें मेमोरी को प्रोसेस की आवश्यकतानुसार विभाजित किया जाता है, जिससे फ्री मेमोरी का बेहतर उपयोग होता है।

1. स्टैटिक पार्टीशनिंग (Static Partitioning)

Static Partitioning में मेमोरी को फिक्स्ड साइज़ के भागों में विभाजित किया जाता है। यह विभाजन बूट टाइम पर किया जाता है और पूरी प्रक्रिया के दौरान अपरिवर्तित रहता है।

विशेषताएँ:

  • सरल और आसान प्रबंधन।
  • Internal Fragmentation की समस्या उत्पन्न होती है।
  • प्रत्येक प्रोसेस को पहले से निर्धारित आकार का पार्टीशन मिलता है।

उदाहरण:

|  Partition 1 (100 MB)  |
|  Partition 2 (200 MB)  |
|  Partition 3 (300 MB)  |
|  Partition 4 (400 MB)  |

2. डायनामिक पार्टीशनिंग (Dynamic Partitioning)

Dynamic Partitioning में मेमोरी को प्रोसेस की आवश्यकतानुसार विभाजित किया जाता है। इसमें कोई निश्चित पार्टीशन नहीं होता और मेमोरी उपयोग अधिक प्रभावी होता है।

विशेषताएँ:

  • Internal Fragmentation नहीं होती।
  • External Fragmentation की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • प्रोसेस के अनुरूप मेमोरी को असाइन किया जाता है।

उदाहरण:

|  Process 1 (180 MB)  |
|  Process 2 (220 MB)  |
|  Process 3 (350 MB)  |

फ्रैग्मेंटेशन की समस्या (Fragmentation Problem)

Partitioning में दो प्रकार की Fragmentation की समस्या उत्पन्न हो सकती है:

  • Internal Fragmentation: जब पार्टीशन का साइज़ प्रोसेस से बड़ा होता है और अनावश्यक मेमोरी खाली रह जाती है।
  • External Fragmentation: जब उपलब्ध मेमोरी छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाती है और किसी बड़ी प्रोसेस को असाइन नहीं की जा सकती।

पार्टीशनिंग एल्गोरिदम (Partitioning Algorithms)

मेमोरी में किसी नई प्रोसेस को असाइन करने के लिए विभिन्न एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है:

एल्गोरिदम विवरण
First Fit सबसे पहले मिलने वाले खाली स्थान में प्रोसेस को असाइन करता है।
Best Fit सबसे छोटे उपयुक्त खाली स्थान में प्रोसेस को असाइन करता है।
Worst Fit सबसे बड़े खाली स्थान में प्रोसेस को असाइन करता है।
Next Fit जहां पिछला Allocation हुआ था, वहीं से खोज शुरू करता है।

स्टैटिक और डायनामिक पार्टीशनिंग की तुलना (Comparison of Static and Dynamic Partitioning)

विशेषता Static Partitioning Dynamic Partitioning
मेमोरी आवंटन फिक्स्ड साइज़ में प्रोसेस के आकार के अनुसार
Internal Fragmentation होती है नहीं होती
External Fragmentation नहीं होती होती है
फ्लेक्सिबिलिटी कम अधिक

पार्टीशनिंग का उपयोग (Applications of Partitioning)

  • मल्टीप्रोग्रामिंग सिस्टम में।
  • क्लाउड कंप्यूटिंग में मेमोरी प्रबंधन।
  • रियल-टाइम सिस्टम में संसाधन आवंटन।
  • बड़े सर्वर सिस्टम में कुशल मेमोरी उपयोग।

निष्कर्ष

Memory Partitioning ऑपरेटिंग सिस्टम का एक आवश्यक घटक है, जो प्रोसेस को उचित मेमोरी आवंटन सुनिश्चित करता है। Static Partitioning सरल लेकिन कम लचीला है, जबकि Dynamic Partitioning अधिक कुशल लेकिन External Fragmentation से प्रभावित हो सकता है। विभिन्न एल्गोरिदम का उपयोग करके मेमोरी प्रबंधन को अनुकूलित किया जा सकता है।

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